वनविभाग के अधिकारियों की उदासीनता ने छीनी गढ़कलेवा की रौनक, महिला स्वसहायता के बजाए खुद ली चलाने की जिम्मेदारी, नतीजा महीने भर में लटका ताला
वनविभाग के अधिकारियों की उदासीनता ने छीनी गढ़कलेवा की रौनक, महिला स्वसहायता के बजाए खुद ली चलाने की जिम्मेदारी, नतीजा महीने भर में लटका ताला कोरिया जिले में गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान में सैलानियों को आकर्षित करने के लिए गढ़कलेवा की स्थापना की गई थी।
कोरिया।वनविभाग के अधिकारियों की उदासीनता ने छीनी गढ़कलेवा की रौनक, महिला स्वसहायता के बजाए खुद ली चलाने की जिम्मेदारी, नतीजा महीने भर में लटका ताला कोरिया जिले में गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान में सैलानियों को आकर्षित करने के लिए गढ़कलेवा की स्थापना की गई थी। ताकि छ्त्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्वाद सैलानी उठा सके। लेकिन शासन की इस योजना पर पलीता लगता जा रहा है। क्योंकि गढ़कलेवा शुरु होने के सप्ताह भर बाद ही इसमे ताला लटक गया है। गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान के विभागीय उदासीनता के कारण गढ़कलेवा योजना का बुरा हाल हो गया है। इसे चलाने के लिए महिला स्वसहायता समूहों को जिम्मेदारी दी जानी थी। लेकिन ऐसा ना करके वन विभाग के कर्मचारियों ने ही इसे चलाने की कोशिश की नतीजा लोगों को स्वाद की जगह ताला देखने को मिल रहा है। प्रदेशवासियों को सस्ते दर पर छत्तीसगढ़ी व्यंजन उपलब्ध कराने गढ़ कलेवा की शुरुआत की गई थी ।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत के कोरिया जिला प्रवास के दौरान सोलह अगस्त को गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान परिक्षेत्र सोनहत अंतर्गत मेन्ड्रा गेट स्थित सोवेनियर शॉप और गढकलेवा कैन्टीन का शुभारंभ किया था। डॉ महंत ने सोवेनियर शॉप में सामग्री का अवलोकन कर प्रशंसा भी की थी। उन्होंने प्रोत्साहन स्वरूप यहां से सामग्री का क्रय कर स्वयं भुगतान भी किया। इस दौरान भरतपुर सोनहत विधायक गुलाब कमरो और राष्ट्रीय उद्यान के संचालक भी मौजूद थे । लेकिन अगस्त की क्रांति में शुरु हुआ ये गढ़कलेवा सितंबर आते-आते तक दम तोड़ गया। अब ये कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं विधानसभा अध्यक्ष को खुश करने के लिए गढ़कलेवा को शुरु किया गया था।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय उद्यान को टाईगर रिजर्व की रूप में पहचान मिलने का पहला पड़ाव शुरु हुआ था। महिला समूह को इसकी जिम्मेदारी नहीं दी गई। अधिकारियों ने समूह के बजाय खुद ही संचालन करने की जिद की और महीने भर में ही गढ़कलेवा में ताला लगवा दिया। जिससे अधिकारी की जिम्मेदारी को लेकर सवाल उठना लाजमी हैं । जबकि कोरिया जिले के सोनहत में गढ़ कलेवा खोलने का मकसद यही था कि यहां आने वाले यात्रियों और सैलानियों को आसानी से अच्छे और सस्ते छत्तीसगढ़ी व्यंजन मिलेंगे। इसके अलावा महिला समूहों की आमदनी भी अच्छी होगी। लेकिन गढ़ कलेवा के बंद होने के कारण ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं है। जिन्हें इसके बारे में पता भी है तो वे बंद होने की वजह से आना भी नहीं चाहते हैं. वहीं प्रचार प्रसार नही होने के कारण कई लोग सोनहत बस स्टैंड के अंदर ही गढ़ कलेवा नहीं ढूंढ पाते हैं ।
अब देखना होगा कि कब राष्ट्रीय उद्यान के प्रभारी अधिकारी सोनहत मुख्यालय पहुँचते हैं और वापस से गढ़कलेवा को शुरु करवाकर शासन की योजना को आगे बढ़ाते हैं।