VIDEO: सोनारु पहली बार पत्नी को मोटरसायकल पर ले गया मायके, तो दुगुनी हुई पत्नी की खुशी, गोबर बेचकर सोनारु ने खरीदी मोटरसायकल और कराई घर की मरम्मत
संवाददाता : विजय पचौरी
जगदलपुर| बड़े कड़मा में चरवाहा का काम करने वाले सोनारु मोहरे के लिए मोटर सायकल खरीदना एक सच न होने वाला सपना था, मगर उसका यह सपना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की गोधन न्याय योजना ने सच कर दिखाया। सोमवार को बस्तरवासियों को विभिन्न विकास कार्यों की सौगात दे रहे मुख्यमंत्री बघेल ने शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन की स्थिति को देखने के लिए जनता से भी बातचीत की। इसी दौरान बड़े कड़मा के सोनारु ने बताया कि वह चरवाहा का काम करता है।
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उसने पिछले पांच महीनों में 210 क्विंटल गोबर बेचकर 42 हजार रुपए कमाए। इस रकम से उसने अपने कामकाज के लिए 25 हजार रुपए में एक सेकेंड हैंड मोटर सायकल खरीदी। इसके साथ ही उसने दस हजार रुपए में अपने टूटे-फूटे घर की मरम्मत और पांच हजार रुपए खेती-किसानी में लगाए। उसने बातचीत के दौरान बताया कि वह जब अपनी मोटरसायकल में पत्नी को मायके ले गया, तो उसकी खुशी देखते ही बनती थी। सोनारु ने इस योजना के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया।
भगवती ने बच्ची के आॅनलाईन पढ़ाई के लिए खरीदा मोबाईल
इसी योजना के तहत बकावंड विकासखण्ड के मंगनार की भगवती देवांगन ने 12वीं कक्षा में पढ़ रही अपनी बेटी के आॅनलाईन पढ़ाई के लिए मोबाईल खरीदा। भगवती ने बताया कि उसने 100 क्विंटल गोबर बेचा था, जिससे उसे 20 हजार रुपए मिले। इसके साथ ही खपरैल के घर की मरम्मत भी करवाई, जो कई जगह से टपक रहा था।
पर्यटन समिति से जुड़ने के बाद प्रकृति से हुआ प्रेम
तीरथा की खीरमनी कश्यप ने बताया कि वह स्थानीय पर्यटन समिति से जुड़ने के बाद पर्यटकों को ट्रैकिंग, कैपिंग, बोटिंग आदि गतिविधियों से रुबरु कराती है। वह पर्यटकों को यहां पाई जाने वाले पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं के संबंध में जानकारी देती है, जिससे पर्यटकों को बस्तर के प्रति रुचि बढ़ती है। धीरमनी ने बताया कि वह जब से पर्यटन समिति से जुड़ी है, प्रकृति के प्रति प्रेम बढ़ गया है।
तीरथगढ़ पर्यटन समूह के प्रभाकर मेघ ने बताया कि वे पर्यटकों को सुरक्षित पर्यटन में सहायता करते हैं, इसके साथ ही यहां की पर्यटन स्थलों के रखरखाव के लिए भी पर्यटकों को प्रेरित करते हैं। उन्होंने बताया कि समूह द्वारा यहां ट्रेकिंग करने वाले पर्यटकों को पर्यटन स्थलों में सीड बाॅल फेंकने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिसके माध्यम से वनों में फलदार पौधों को उगाया जाएगा। इससे वन्य प्राणियों के साथ ही ग्रामीणों को भी इन फलों का आनंद उठाने का अवसर मिलेगा।