VIDEO: कैनरा बैंक के ब्रांच से तीन करोड़ 60 लाख रुपए की ठगी करने वाला मास्टरमाइंड गिरफ्तार, सरकारी विभाग के चेक की हुबहू कॉपी बनाकर वारदात को देता था अंजाम
रायपुर| राजधानी रायपुर के कैनरा बैंक की आमानाका ब्रांच से तीन करोड़ 60 लाख रुपए की ठगी करने वाला मास्टरमाइंड गिरफ्तार हो चुका है। इसने ये रकम क्लोन चेक (नकली चेक ) बनाकर निकाली। ये नकली चेक बिहार की साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (एसबीपीडीसीएल) और बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीएसआरडीसीएल) के थे। हैरत इस बात की है कि जिस नंबर के चेक बैंक में लगे वो इन कंपनियों में सुरक्षित रखे हैं। इस ठगी काे अंजाम देने वाला सुहास हरिश चंद्र काले पिछले कई सालों से अपना गिरोह चला रहा था। रायपुर के SSP अजय यादव ने बताया कि नागपुर से सुहास को गिरफ्तार किया गया है। ठगी में साथ देने वाले रायपुर के बैंक मैनेजर आलोक कुमार को भी पकड़ा है। इसके तीन साथी शमीम, रमेश ठाकरे और एजाज फिलहाल फरार हैं।
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सुहास ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि शमीम, रमेश ठाकरे और एजाज का काम होता था। ऐसे कंपनी या लोगों की जानकारी जुटाना, जिन्हें निशाना बनाया जाना है। शमीम नकली चेक बनाने का मास्टरमाइंड है। वो चेक को अपने खूफिया अड्डे पर कंप्यूटर की मदद से बनाता है। इसकी डिजाइनिंग और पेपर क्वालिटी बिल्कुल असली चेक की तरह होती है। बैंक के कर्मचारी भी फर्जी चेक को पकड़ नहीं पाते, तभी तो करोड़ों का घपला ये करते आ रहे थे। एजाज नाम का युवक गाड़ियां फाइनेंस करवाने का काम करता है। इसकी आड़ में वो बैंक की रेकी करता था। मैनेजर से दोस्ती करना उसे ठगी के प्लान में मिलाना इसका काम था।
सुहास ने रायपुर के टाटीबंध में विष्णु लक्ष्मी में डेवलपर्स के नाम से खाता खुलवाया, खुद को बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन का काम का बड़ा व्यापारी बताया। उसने बैंक प्रबंधन को ये जानकारी भी दी कि उसका साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (एसबीपीडीसीएल) और बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीएसआरडीसीएल) से कॉन्ट्रैक्ट है। मार्च से मई के बीच उसने सवा महीने में दोनों सरकारी विभाग के 7 चेक बैंक में जमा किए और कैश निकाल लिए। उसने जो चेक जमा किया है, वह बिहार के दोनों सरकारी विभाग के चेक की हुबहू कॉपी है। रकम निकालने का काम आराम से हो सके इसलिए सुहास ने बैंक मैनेजर को 10 लाख रुपए दिए, अब इस मैनेजर से भी पूछताछ हो रही है।
बिहार की बिजली कंपनी और रोड डेवलपर्स कार्पोरेशन के खाते से पैसे निकलने लगे, तब वहां के अधिकारियों ने बैंक से जानकारी मांगी। अफसरों ने बैंक से पूछा कि ये पैसे कैसे निकल रहे हैं। किस आधार पर पेमेंट किया जा रहा है। बैंक ने उन 7 चेक की काॅपी दोनों दफ्तरों को भेज दी, जिनके माध्यम से पैसे भेजे गए थे। उन्होंने रायपुर की दो कंपनी का नाम बताया, जिसने पैसा निकाला है। सरकारी कंपनी के अधिकारियों ने केनरा बैंक के प्रबंधन को बताया कि उनकी ओर से फिलहाल रायपुर की किसी कंपनी को चेक जारी नहीं किया गया है। ये जानकारी भी दी गई कि जिस नंबर का चेक बैंक में जमा किया गया है, वह जाली हैं। फिर मामला रायपुर पुलिस के पास पहुंचा ।