जिला कांकेर की ग्राम आलदण्ड में स्थापित की गई नक्सल कैडर सोमजी की मूर्ति हिंसा एवं नकारात्मक विचारों के परिणाम दुखद एवं दर्दनाक होने का संदेश माओवादी कैडर को देते रहेगा
कांकेर| जिला कांकेर के आमाबेड़ा थाना क्षेत्रांतर्गत चुकलापाल के पास सुरक्षाबल को क्षति पहुंचाने की नीयत से सीपीआई माओवादी के उत्तर बस्तर डिवीजन के कमेटी सदस्य सोमजी उर्फ सहदेव वेदड़ा द्वारा आईईडी लगाया जा रहा था उसी दौरान आईईडी विस्फोट की चपेट में आकर खुद माओवादी कैडर सोमजी का चिथड़े होकर स्पॉट में दर्दनाक मृत्यु हो गई।
तत्पश्चात सोमजी उर्फ सहदेव वेदड़ा की गृह ग्राम आलदण्ड थाना छोटे बेठिया जिला कांकेर में उनकी मूर्ति स्थापित करने के संबंध में परिजन एवं स्थानीय पुलिस से ग्रामीणों द्वारा संपर्क की गई। परिजन एवं ग्रामीणों द्वारा अवगत कराया गया कि सोमजी का घर का नाम मनीराम है, इसका बचपन गांव के अन्य बच्चों जैसे खेलते-कूदते एवं पढ़ते बिता है तथा इस दौरान वर्ष 2004 में उत्तर बस्तर डिवीजन के सीपीआई माओवादी कैडर सुजाता, ललिता एवं रामधेर द्वारा 14 साल की उम्र में जबरन उनको माओवादी संगठन में भर्ती किया जाकर उसके हाथ में बंदूक थमा दिया गया।
आंध्रप्रदेश, तेलंगाना एवं महाराष्ट्र की बाहरी माओवादी कैडर की साजिश की चाल में फंसकर मनीराम वेदड़ा, सोमजी का स्वरूप लेकर विगत 17 वर्षों से खुद अपनी आदिवासी समाज की भक्षक बनकर कई निर्दोष आदिवासी ग्रामीणों की हत्या करना, आगजनी, तोड़फोड़ एवं अन्य विनाशकारी गतिविधियों में शामिल रहा। परिजन एवं ग्रामीणों के लोगों द्वारा हिंसा छोड़कर घर वापस आने के लिए अनेक बार गुहार लगाने के बावजूद भी बाहरी माओवादी कैडर के चंगुल में फंसे हुये सोमजी द्वारा लगातार नकारात्मक एवं हिंसात्मक कार्यों में लगा रहा। अंततः खुद हिंसा का शिकार होकर 18 फरवरी 2021 को दर्दनाक मृत्यु हो गई।
ग्राम आलदण्ड में परिजन एवं ग्रामीण द्वारा स्थापित की गई सोमजी की मूर्ति क्षेत्र की जनता को हमेशा बाहरी माओवादी नेतृत्व की स्थानीय आदिवासी युवा एवं युवतियों की विरूद्ध रचे जा रही साजिश को याद दिलाएगा। साथ-साथ हिंसात्मक विचारों के परिणाम दर्दनाक एवं दुखद होने का संदेश भी समाज को देता रहेगा।पुलिस महानिरीक्षक, बस्तर रेंज सुन्दरराज पी. द्वारा बताया गया कि ग्राम आलदण्ड में स्थापित की गई सोमजी उर्फ मनीराम की मूर्ति को ध्वस्त नही किया जाकर उस स्थान को हिंसा एवं नकारात्मक विचार के विरूद्ध सीख लेने की पाठशाला के रूप में प्रचारित की जावेगी।