हर्षोल्लास के साथ मनायी गई संत शिरोमणि सुपक्ष सुपल भगत जयंती : हरि शंकर बांसवार
रायपुर। सर्व बसोड़ कंडरा आदिवासी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष हरि शंकर बांसवार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कहा कि प्रति वर्ष 17 अप्रैल को संत शिरोमणि सुपक्ष सुपल भगत जी की जयंती वर्तमान स्थिति covid 19 lockdown को ध्यान रख अपने अपने घरों में 7-7 दिए दरवाजे जलाकर जयंती मनायी गयी ।
सर्व कंडरा आदिवासी समाज का पुरातन काल से कांकेर के रहवासी रहे है । वहाँ हमारे कंडरा आदिवासी समाज के लोग निवास करते थे और आज भी प्रमाणित होता वहाँ गढ़िया पहाड़ पर हमारी समाज की कुल देवी माँ शीतला का मन्दिर व पहाड़ी के ऊपर स्थित 2 तालाब ( सोनई- रूपई ) स्थापित है ।
सम्भवतः कई सैकड़ों वर्षों पूर्व कांकेर के राजा धर्मदेव हुआ करते थे जो कंडरा राजा हुआ करता था राजा के 2 लड़की थी सोनई और रूपई थी । राजा धरमदेव के इष्टदेव गढ़िया देव अर्थात भगवान शिव को ही गढ़िया देव कहा जाता है।
कंडरा समाज का उल्लेख पुराने श्रीमद्भागवत के छेपक कथा में उल्लेख है । महाभारत में भी है जब महाराज द्रुपद राजसूय यज्ञ करवाते है वहाँ पर भी उल्लेख है । हमारे समाज के आराध्य देव गढ़िया देव का प्रति वर्ष चैत्र नवरात्र में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कई करोड़ रुपये खर्च करके गढ़िया महोत्सव मनाया जाता है।
कंडरा समाज का पुस्तैनी व पारंपरिक कार्य बॉस से टुकना सूपा बिजना पर्रि पर्रा सुपली झांपी वगैरह वगैरह और तो और संसार मे मांगलिक कार्य बच्चे का जन्म समय , शादी , पूजा- पाठ हो या अमांगलिक कार्य काठी भी बिना बांस के अर्थी नहीं निकाला जाता हैं ।