VIDEO: जीवन एक संघर्ष, पढ़े-लिखे परिवार को पहुंचाया सड़क तक
संवाददाता : विजय पचौरी
जगदलपुर। समय कब किसका बदल जाए यह कोई नहीं जानता कोरोना संकट काल ने लोगों की जिंदगी ही बदल कर रख दी लोगों ने सोचा भी नहीं था कि कोरोना संकटकाल में उन्हें ऐसे भी काम करने पड़ेंगे।
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हालांकि काम करने में कोई भी शर्म नहीं होनी चाहिए कोई काम छोटा नहीं होता कोरोना संकट काल में निर्बन दास की जिंदगी ही बदल कर रख दी और आज वहां बिरयानी दुकान खोल कर अपना परिवार पाल रहे हैं।
इनका साथ इनकी पत्नी और पढ़ी-लिखी बच्ची भी देती है निबन दास कोलकाता के रहने वाले हैं और वहां वह टोटल मेजरमेंट का काम देखा करते थे अचानक उनकी और उनकी पत्नी की नौकरी जगदलपुर के एक निजी स्कूल में स्कूल मेजरमेंट के रूप में लगी और वह अपना पूरा परिवार लेकर जगदलपुर पहुंचे और नौकरी करने लगे कोरोना संकटकाल में स्कूल बंद हो चुके थे स्कूल बंद हो जाने से निबन दास और उनकी पत्नी की नौकरी छूट गई और परिवार पालने के लिए उन्हें कुछ ना कुछ करना था।
हालांकि उनके पास हुनर था उन्होंने जगदलपुर के शहीद पार्क के पास एक बिरयानी की दुकान खोली इस बिरयानी दुकान में उनकी पत्नी और पढ़ी-लिखी बच्ची भी उनका साथ देती है निबन दास कहते हैं कि नौकरी चले जाने से मुझे यह काम करना पड़ रहा है और वहां अभी कोलकाता वापस नहीं जा सकते इसलिए उन्होंने यह दुकान खोली है।
परिवार पालने के लिए कुछ ना कुछ काम तो करना ही पड़ता है इस काम में उनकी पत्नी और पढ़ी-लिखी बच्ची भी इनका साथ देती है निबन दास की बच्ची ने बताया कि वह 12वीं पढ़ रही हैं और जीवन में कभी उन्होंने सोचा भी नहीं था कि हमें ऐसा काम भी करने पड़ेंगे।
उन्हें गर्व होता है कि वह अपने पापा का साथ दे रही है, कोई भी काम छोटा नहीं होता लोगों की सोच और नजरिया ही छोटा बड़ा बनाता है। हालांकि इनकी दुकान में अभी बिरयानी और कई प्रकार के आइटम मिल रहे हैं होटल चलाने में इनकी पत्नी इनकी बच्ची का भरपूर सहयोग मिलता है।