VIDEO: यहाँ महिलाएं बना रही है होली के लिए हर्बल गुलाल, बाजार से कम बजट में है उपलब्ध
संवाददाता : प्रतीक मिश्रा
गरियाबंद। आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। महिलाएं आज हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। जी हां हम बात कर रहे है गरियाबन्द जिला के मैनपुर ब्लॉक की बिहान से जुड़ी महिलाओं की जो होली में उपयोग करने के लिए हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं।
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ताकि कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच केमिकल युक्त गुलाल से नुकसान न पहुंचे।महिला समूह के इस पहल से, ग्रामीणों के पहूच से दूर हर्बल गुलाल अब उनके ही बजट में आसानी से उपलब्ध होगा।
मैनपुर ब्लाक के अमलीपदर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के अंतर्गत महिलाए इस बार कुछ नया रचनात्मक काम कर रही है। समूह की महिलाएं -पालक ,लालभाजी,हल्दी ,टमाटर काट कर पीस रही इन महिलाओं को देखकर तो ऐसा लग रहा होगा कि ये किचन के लिए कोई सामान तैयार कर रही है।
पर ऐसा नही…जी हां सब्जियों को काटने पीसने की काम मे लगी ये बहने अमलीपदर के सिद्धि विनायक महिला समूह की सदस्य है,ये काम कोई पकवान के लिए नही बल्कि हर्बल गुलाल बना रही है।रंगों के लिए केमिकल के बजाए प्रकतिक सब्जियों के कलर का इस्तेमाल कलर के लिए किया जा रहा है।समूह से जुड़ी 11 महिलाएं पिछले एक सप्ताह से रोजाना 5 घण्टे इसी काम मे लगी हुई है।हर्बल गुलाल बनाने का यह पहला प्रयोग है,इसलिये इस बार केवल 1 क्वीन्टल गुलाल तैयार कर रही हैं।प्रति किलो 50 रुपये लागत आने वाली गुलाल को बाजार में 70 से 80 रुपये किलो में बेचेंगी।
एक ओर जहां लोगों की जीवन शैली में रासायनिक चीजों का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है, तो वहीं दूसरी और समूह की महिलाएं हर्बल गुलाल बनाकर अपनी आजीविका चला रही हैं, जो हमें किसी ना किसी रूप से प्रकृति से जोड़ता है।
बाजार में बहुत से ऐसे केमिकल युक्त रंग-गुलाल बिक रहे हैं। इन रंगों से त्वचा से संबंधित बीमारियां या इंफेक्शन होने का खतरा बना रहता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी साबित हो सकते हैं।
लेकिन अमलिपदार ग्रामीण आजीवीका मिशन परियोजना की महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है.. अमलीपदर क्लस्टर में 700 से भी ज्यादा समूह काम कर रही है।फिलहाल कुछ ही समूह है जिन्हें 1 लाख तक लोन आजीविका मिशन के तहत उपलब्ध कराया गयाहै।परम्परागत ब्यवसाय व बाजार में न चलने कारोबार से कुछ हट कर काम करने की थीम पर यंहा महिलाओ से विभिन्न प्रयोग कराया जा रहा है।
परियोजना के कलस्टर प्रभारी निधि साहू के पहल पर इस बार होली में हर्बल गुलाल तैयार करने की योजना बनाई गई।दीपावली में दिया बत्ती, फिर मछली पालन के सफल प्रयोग के बाद अब हर्बल गुलाल का महिलाओ के जीवन कैसा रंग लाएगा ये तो समय ही बताएगा।पर इस होली में,ब्रांडेड हर्बल के नाम ऊंची कीमतों पर मिलने वाली गुलाल अब आधी कीमत पर मिलने से ग्रामीण भी ख़ुस नजर आ रहे हैं।