सीएम बघेल ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को लिखा पत्र, किसानों के हित में किया अनुरोध… पढ़ें पूरी खबर
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है। मुख्यमंत्री बघेल ने राज्य के किसानों के हित में पूर्व सैद्धांतिक सहमति के अनुसार खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में भारतीय खाद्य निगम में 26 लाख मीट्रिक टन उसना चावल और 14 लाख मीट्रिक टन अरवा चावल उपार्जन की अनुमति शीघ्र प्रदान करने का अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री बघेल ने अपने पत्र में लिखा है कि खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में उपार्जित किए जाने वाले धान के कस्टम मिलिंग उपरांत 60 लाख मीट्रिक टन चावल केन्द्रीय पूल में जमा करने की सैद्धांतिक सहमति भारत सरकार की ओर से दी गई है। परंतु भारत सरकार के स्तर से समुचित आदेश प्रसारित न होने के कारण एफसीआई की ओर से चावल जमा नहीं हो पा रहा है। इस संदर्भ में भारत सरकार को छत्तीसगढ़ राज्य से 26 लाख मीट्रिक टन उसना चावल और 14 लाख मीट्रिक टन अरवा चावल एफसीआई में जमा करने की अनुमति के लिए प्रस्ताव प्रेषित किया जा चुका है।
इस विषय पर भारत सरकार व छत्तीसगढ़ राज्य के अधिकारियों के मध्य निरंतर चर्चा भी होती रही है। साथ ही इस विषय पर मैंने भी आपको पत्र के माध्यम से और व्यक्तिगत चर्चा कर समुचित अनुमति के लिए अनुरोध किया है। इस पर आपने शीघ्र आदेश जारी करने का आश्वासन भी प्रदान किया,किंतु आज दिनांक तक इस संबंध में भारत सरकार से यथोचित अनुमति नहीं प्राप्त हुई है।
मुख्यमंत्री बघेल ने अवगत कराया है कि खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में धान उपार्जन के लिए भारत सरकार की ओर से राज्य को 3.50 लाख गठान नए जूट बारदानों की आवश्यकता के विरुद्ध मात्र 1.45 लाख गठान नए जूट बारदाने प्रदान करने की सहमति दी गई है, इनमें से भी अब तक केवल 1.05 लाख गठान नए जूट बारदाने ही राज्य को प्राप्त हुए हैं।
आप सहमत होगें कि राज्य को उसकी वास्तविक आवश्यकता की तुलना में काफी कम मात्रा में बारदाने प्राप्त हुए हैं। ऐसी परिस्थिति में भारतीय खाद्य निगम में कस्टम मिलिंग चावल जमा कराने का आदेश न मिल पाने के कारण मिलिंग पश्चात् मिलर से प्राप्त होने वाले बारदानों की भी कमी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इसके कारण राज्य सरकार के पर्याप्त वैकल्पिक प्रयासों के बावजूद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन का कार्य प्रभावित होने एवं समय-सीमा में खरीदी पूर्ण नहीं होने की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इससे राज्य के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान बेचने में समस्या होगी।