December 24, 2024

अपने नाकारापन के चलते प्रदेश सरकार अब किसानों की जान की दुश्मन बन गई और झूठ-पर-झूठ बोल रही हैं : भाजपा

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रायपुर: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कोंडागाँव ज़िले के किसान धनीराम की आत्महत्या के मामले को लेकर लीपापोती करने का आरोप लगाते हुए प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा है कि प्रदेश सरकार की बदनीयती और कुनीतियों के चलते प्रदेशभर में किसान आत्महत्या कर रहे हैं और उनके परिजन बेसहारा होते जा रहे हैं। साय ने कहा कि इसके लिए राज्य के किसानों से बिना शर्त माफ़ी मांगकर प्रदेश सरकार मृतक किसान धनीराम के परिजनों को 25 लाख रुपए का मुआवजा बतौर आर्थिक सहायता प्रदान करे।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने कहा कि अपने नाकारापन के चलते प्रदेश की कांग्रेस सरकार अब किसानों की जान की दुश्मन बन गई है और झूठ-पर-झूठ बोल रही है। एक तरफ़ मृतक धनीराम को मानसिक अवसाद से ग्रस्त बताने वाली प्रदेश सरकार और प्रशासनिक मशीनरी दूसरी तरफ़ ग़लत गिरदावरी के लिए पटवारी को निलंबित करने और तहसीलदार को नोटिस देने की नौटंकी कर रही है। साय ने कहा कि इस मामले में दोषियों के ख़िलाफ़ आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने का मामला दर्ज़ कर क़ारग़र कार्रवाई की जानी चाहिए।

भाजपा किसानों की लगातार आत्महत्या के मामलों को लेकर प्रदेश सरकार के ख़िलाफ़ अब निर्णायक लड़ाई की तैयारी कर रही है और किसानों के प्रति सरकार के अन्यायपूर्ण और संवेदनहीन रवैए को लेकर प्रदेश के जनमानस को जागृत करेगी। श्री साय ने कहा कि ख़ुद को किसानपुत्र कहने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिल्ली के किसान आंदोलन को लेकर तो दुबले हुए जा रहे हैं लेकिन छत्तीसगढ़ में किसानों के नाम पर उन्हें कोरी सियासी लफ़्फ़ाजी करते ज़रा भी शर्म महसूस नहीं हो रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में ‘अब होगा न्याय’ का शोर मचाने वाले कांग्रेस नेताओं का न्याय तो अब प्रदेश के किसान ही करेंगे।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने प्रदेश सरकार को पूरी तरह किसान विरोधी बताते हुए कहा कि प्रदेश सरकार किसानों पूरी उपज ख़रीदने से बचने के लिए क़दम-क़दम पर षड्यंत्रों का जाल बुन रही है। प्रदेश सरकार एक तरफ़ तो प्रदेश में दो लाख अधिक किसानों के पंजीयन का दावा कर रही है लेकिन अपना यह काला सच ज़ाहिर नहीं कर रही है कि उसने गिरदावरी के नाम पर किस तरह षड्यंत्रपूर्वक प्रदेश के किसानों के लगभग 37 लाख हेक्टेयर रकबे को घटाकर 27 लाख हेक्टेयर कर दिया है। कई स्थानों पर तो खतों का सत्यापन तक नहीं किया जा सका है, जिसके चलते किसानों का टोकन नहीं कट पा रहा है। कई किसानों का तो रकबा ही ज़ीरो बताया गया है।

प्रदेश सरकार अब इन त्रुटियों को सुधारने की बात कह रही है लेकिन इन त्रुटियों के सुधार की समय-सीमा तय करने में आनाकानी कर रही है। साय ने कहा कि प्रदेश के अमूमन सभी ज़िलों में धान ख़रीदी के इंतज़ाम को लेकर किसान परेशान हैं। कहीं बिना पूर्व सूचना के ख़रीदी केंद्र बदल दिए गए हैं जिससे किसान हलाकान हैं तो कहीं समितियों बारदानों की कमी बताकर ख़रीदी नहीं किए जाने की भी शिकायतें सामने आ रही हैं।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने कहा कि बिलासपुर संभाग में मुंगेली ज़िले के ग्राम धरमपुरा, सोड़हार, कुआँ, पीथमपुर आदि के लगभग 05 हज़ार से अधिक किसानों के नाम समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों की सूची से ग़ायब हैं! साय ने कहा कि प्रदेश सरकार लगातार झूठे दावे कर-करके प्रदेश और देश को भरमाने में लगी है जबकि ज़मीनी सच्चाई यह है कि प्रदेश की सत्ता में आने के बाद से कांग्रेस की सरकार ने जिस तरह किसानों को संत्रस्त किया है, उसकी मिसाल देशभर में शायद ही कहीं मिलेगी। प्रदेश सरकार की बदनीयती और कुनीतियों ने किसानों के आत्म-सम्मान को न केवल लहूलुहान किया है, अपितु अब वह किसानों को आत्महत्या के लिए मज़बूर करने वाली सरकार हो गई है। कोई इच्छा-मृत्यु के लिए प्रदेश की राज्यपाल के पास जा रहा है तो कहीं आदिवासी किसान फ़ाँसी की मांग करते फंदे लेकर प्रदर्शन करने विवश हैं। साय ने कहा कि आदिवासी किसानों को वनाधिकार पट्टा देकर प्रदेश सरकार ने उनका धान 25सौ रु. की दर से ख़रीदने का ढिंढोरा तो ख़ूब पीटा लेकिन सच्चाई यह है कि वनाधिकार पट्टाशुदा किसान सपरिवार महासमुंद में शुक्रवार को रैली निकालकर ‘धान ख़रीदो या फ़ाँसी दो’ की मांग करते फंदे लेकर पहुँचे थे।

कौशिक का सवाल : किसानों की आत्महत्या के लिये कौन जिम्मेदार?

इधर, प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कोंडागांव में एक किसान के अत्महत्या करने लेने की घटना पर दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश में लगातार किसान आत्महत्या करने विवश हो रहे हैं और प्रदेश की सरकार केवल उत्सव में ही व्यस्त है। किसानों को लेकर प्रदेश की सरकार के पास कोई योजना नहीं है। किसानों के नाम पर सत्ता में आई प्रदेश सरकार केवल किसानों को छल रही है। कारगर नीति होती तो किसान आत्महत्या को विवश नहीं होते। कौशिक ने कहा कि प्रदेश सरकार की नीयत और नीति दोनों ही स्पष्ट नहीं है, जिसके कारण ही इस तरह की परिस्थितियां निर्मित हो रही हैं। कौशिक ने कहा किसानों को लेकर उचित कदम उठाने की ज़रूरत है।

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