हजारों लोगों ने SECL मुख्यालय घेरा, दफ्तर में फंसे अधिकारी-कर्मचारी
छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ ने बरसों पुराने भूमि अधिग्रहण के बदले लंबित रोजगार प्रकरण, मुआवजा, पूर्व में अधिग्रहित जमीन की वापसी समेत 16 मांगो को लेकर 50 गांवों के हज़ारों लोग धरने पर बैठे है।
कोरबा। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ ने बरसों पुराने भूमि अधिग्रहण के बदले लंबित रोजगार प्रकरण, मुआवजा, पूर्व में अधिग्रहित जमीन की वापसी समेत 16 मांगो को लेकर 50 गांवों के हज़ारों लोग धरने पर बैठे है। ये धरना SECL के गेवरा मुख्यालय के ठीक सामने दिया गया है।
आंदोलनकारियों द्वारा दोनों गेटों को जाम कर देने से आज दिन भर से अधिकारी-कर्मचारी ऑफिस में ही फंसे हुए है। और पहले दौर की वार्ता विफल हो जाने के बाद आंदोलनकारियों द्वारा घेराव जारी रखने की घोषणा से रात में भी उनके निकलने की कोई संभावना नहीं है। घेराव कर रहे लोगों में महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा है, और उन्होंने SECL मुख्यालय के सामने ही रात का खाना बनाना शुरू कर दिया है।एसईसीएल के आश्वासन से थके भूविस्थापितों ने अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। घेराव करने वालों में नरईबोध, गंगानगर, मड़वाढोढा, भठोरा, भिलाईबाजार, रलिया, बरभांठा, गेवरा बस्ती, बरेली, भैसमाखार, मनगांव, रिसदी, खोडरी, सुराकछार बस्ती, जरहाजेल, दुरपा, बरपाली, बरकुटा, बिंझरा, पंडरीपानी, कोसमंदा, खम्हरिया, बरमपुर, दुल्लापुर, सोनपुरी, जटराज, पाली पड़निया, पुरैना, कुचैना, मलगांव, दादरपारा एवं अन्य गांव के भूविस्थापित किसान शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि रोजगार और पुनर्वास से संबंधित 16 सूत्रीय मांगों पर छत्तीसगढ़ किसान सभा और रोजगार एकता संघ ने 30 जून से गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय पर घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन करने की घोषणा की थी। इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए पिछले 10 दिनों से चल रहे अभियान के नतीजे में गोद में बच्चे लिए महिलाओं सहित हजारों ग्रामीण सड़कों पर उतर पड़े और रैली निकालकर मुख्यालय को आज सुबह 10 बजे से ही घेर लिया है।
किसान सभा ने ऐलान किया है कि उनका आंदोलन तभी खत्म होगा, जब SECL प्रबंधन रोजगार, मुआवजा, बसावट के सवाल पर उनके पक्ष में निर्णायक फैसला करेगा। भू विस्थापितों के इस आंदोलन को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी समर्थन दिया है।