महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री ने की सीएम बघेल से मुलाकात, गारे पेलमा कोल ब्लाक को लेकर हुई चर्चा
छत्तीसगढ़ के कोल ब्लॉक के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बाद अब महाराष्ट्र के उर्जा मंत्री नितिन राउत का छत्तीसगढ़ आगमन हुआ।
रायपुर। छत्तीसगढ़ के कोल ब्लॉक के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बाद अब महाराष्ट्र के उर्जा मंत्री नितिन राउत का छत्तीसगढ़ आगमन हुआ। उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर महाराष्ट्र की उर्जा संबंधी जरूरतों पर विस्तृत विचार विमर्श किया। मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र की उर्जा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए गारे पेलमा सेक्टर-2 कोल ब्लाक के क्लीयरेंस के लिए नियमानुसार यथासंभव जल्द मदद करने का आश्वासन दिया।मुख्यमंत्री निवास में आज हुई मुलाकात में महाराष्ट्र के उर्जा मंत्री राउत ने बताया कि छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले की गारे पेलमा कोल ब्लाक गारे पेलमा सेक्टर-2 महाराष्ट्र की विद्युत कम्पनी (महाजेनको) को आबंटित है। महाराष्ट्र में विद्युत उत्पादन के लिए कोयला की आपूर्ति इस कोल ब्लाक से की जानी है, जिससे आने वाले समय में कोयले की आपूर्ति की निरंतरता बनी रहे।
महाराष्ट्र के उर्जा मंत्री ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से कोल ब्लाक से संबंधित सभी औपचारिकताओं को जल्द पूर्ण कराने का आग्रह करते हुए इस कोल ब्लाक के लिए वन व्यपवर्तन और राज्य शासन की अनुशंसा का अनुरोध भी किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, उर्जा सचिव अंकित आनंद, महाराष्ट्र के विद्युत कम्पनी (महाजेनको) के सीएमडी संजय खंडारे, डायरेक्टर पुरषोत्तम जाधव, एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर नितिन बाघ उपस्थित थे।गौरतलब है कि इससे पूर्व राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर परसा-केते कोल ब्लॉक को जल्द स्वीकृति देने का अनुरोध किया था, तब भूपेश बघेल ने नियमानुसार कोल ब्लॉक की अनुमति देने की बात कही थी। हाल ही में राज्य सरकार ने परसा-केते कोल ब्लॉक को अंतिम स्वीकृति दे दी है, हालांकि इसका संबंधित इलाके के लोग भारी विरोध कर रहे हैं। इसी तरह महाजेनको के लिए प्रस्तावित गारे-पेलमा कोल ब्लॉक का वहां के ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। यहां के 14 प्रभावित गावों में से 13 ग्राम पंचायतों ने लिखकर दिया है कि महाजेनको को कोयला खदान के लिए न तो ग्राम सभा हुई है और न ही इसकी स्वीकृति दी गई है। यही नहीं गारे-पेलमा के लिए 3 साल पहले आयोजित पर्यावरणीय जनसुनवाई का पूरे ग्रामीणों ने बहिष्कार किया था। तब से इसकी स्वीकृति लटकी हुई है। माना जा रहा है कि इस तरह के विरोध के चलते यह कोल ब्लॉक पाना महाजेनको के लिए इतना आसान नहीं होगा।