संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप
रायपुर। शासन में संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया कि भाजपा अपने शासन काल में चाहे केन्द्र सरकार से संबंधित हो या फिर राज्य जब भी कोई बड़ी घटना उनके शासन काल में घटित हो रही है,तो उसे सरकार की छवि ख़राब करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय साज़िश करार दे दे रही है और भाजपा के नेता ऐसा कर आपराधिक साज़िश (120B) और राजद्रोह (124A) जैसी धाराओं का खुला उलंघन ही नहीं बल्कि इसका दुरूपयोग भी कर रहे है। विकास उपाध्याय ने पत्रकारों के समक्ष ऐसे कई मामलों का खुलासा कर भारतीय जनता पार्टी को घेरने का प्रयास किया है।
विकास उपाध्याय आज अपने निवास में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने उत्तरप्रदेश के चर्चित हाथरस में एक दलित लड़की और उसके परिवार के साथ हुए अपराध पर कहा, इस घटना की गूंज पूरे भारत में तो हुई ही इसके बाद जब संयुक्त राष्ट्र तक ने इसपर चिंता प्रकट कर दी तो यूपी की योगी सरकार अचानक से उस दिशा में क्यों चली गई कि उसे यह कहना पड़ा राज्य में जातीय दंगे भड़काने और मुख्यमंत्री योगी सरकार की छवि ख़राब करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय साज़िश रची जा रही थी। विकास उपाध्याय ने सवाल किया कि पीड़िता का रात में ढाई बजे दाहसंस्कार करना भी क्या इस साजिश का हिस्सा था। मृत पीड़िता को घर वालों को न सौंपना, उसके मृत चेहरे को घरवालों को न दिखाना भी का इस साजिश का हिस्सा था।
विकास उपाध्याय ने कहा दरअसल ऐसा नहीं है बल्कि भाजपा के नियंत्रण में जहाँ भी सरकारें हैं या वहाँ की प्रसाशन उनके नियंत्रण में है उन सभी जगहों व घटनाओं को लेकर भाजपा का एक मात्र एजेंडा अब तक एक ही रहा है उसे अंतरराष्ट्रीय साजिश करार दे दिया जाए।
जेएनयू मामला -दिल्ली पुलिस ने फ़रवरी 2016 के चर्चित जेएनयूए मामले में भी साज़िश की बात की और वहाँ भी इन्हीं धाराओं का इस्तेमाल किया। दिल्ली में पुलिस केन्द्र के अधीन अर्थात मोदी सरकार के नियंत्रण में काम करती है।
प्रधानमंत्री की हत्या की साज़िश -2017-18 के एल्गार परिषद मामले को भी पुलिस ने आपराधिक षडयंत्र और देशद्रोह का मामला बताया है और इन्हीं धाराओं का इस्तेमाल किया है। दिल्ली दंगा -दिल्ली पुलिस ने इस साल हुए दंगों को एक सुनियोजित साज़िश क़रार दिया है। उसने 16 सितंबर को अपनी हज़ारों पन्नों के आरोप पत्र में 15 लोगों के ख़िलाफ़ जो धाराएँ लगाई गई हैं उनमें आपराधिक साज़िश रचने और देशद्रोह की धाराएँ भी शामिल हैं।
केजरीवाल-मुख्य सचिव मामला- 2018 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने आरोप लगाया था कि 19-20 फ़रवरी की रात को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मौजूदगी में कुछ विधायकों ने उनके साथ कथित रूप से मारपीट की थी। इस घटना को भी पुलिस ने साज़िश क़रार दिया था और पुलिस ने बाद में 1300 पन्नों की जो चार्जशीट दायर की और उसमें अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और 11 विधायकों के ख़िलाफ़ जो धाराएँ लगाईं उनमें आपराधिक साज़िश का मामला भी शामिल था।
चिदंबरम मामला- पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को भी पिछले साल जब सीबीआई ने आईएनएक्स मीडिया मामले में गिरफ़्तार किया था, तो उनके ख़िलाफ़ भी आपराधिक साज़िश की धारा लगाई गई थी.
दिल्ली हाई कोर्ट में उनके वकील कपिल सिबल ने चिदंबरम की ओर से ये सवाल पूछा था, “ये मेरे ख़िलाफ़ आपराधिक साज़िश का आरोप क्यों लगाया गया? मैंने किसके साथ मिलकर साज़िश की है?”