VIDEO: समर्पित नक्सलियों के लिए खुशी का पल, अब मिली इन्हें अपनी खुद की पहचान… पहले सरेंडर पर फोकस था अब बदलाव लाने पर भी दिया जा रहा जोर
संवाददाता : विजय पचौरी
छत्तीसगढ़| आजाद भारत में बस्तर के कई इलाके में गुलामी आज भी नक्सलियों की है इसी गुलामी की जंजीर में जकड़कर मुख्यधारा से भट्के कई ग्रामीणों की अब तक खुद की पहचान के कोई सरकारी दस्तावेज नहीं है दंतेवाड़ा पुलिस घर वापसी अभियान चला रही है इस अभियान की शुरुआत का एक साल पूरा हो गया है अब नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर फोकस के साथ-साथ पहले सरेंडर हो चुके नक्सलियों की जीवन शैली को बदलने पर जोर दिया जा रहा है|
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इसके लिए दंतेवाड़ा पुलिस ने घर वापसी अभियान 2 की शुरुआत कर दी है इस अभियान के तहत सबसे पहले समर्पित नक्सलियों को उनकी पहचान के सरकारी दस्तावेज दिलाई जा रहे हैं इसका बीड़ा खुद पुलिस ने ही उठा लिया है जो आत्मसमर्पित नक्सली अभी गांव में हैं उन्हें पुलिस बस भेजकर मुख्यालय पर ला रही है और उनके आधार कार्ड वोटर आईडी कार्ड राशन कार्ड बनाए जा रहे हैं पहली बार है जब 255 सरेंडर नक्सलियों को उनकी अपनी पहचान मिल गई है अब इन्हें सरकार की तमाम योजनाओं से जोड़कर लाभ दिलाया जाएगा दक्षिण बस्तर पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने बताया है कि घर वापसी अभियान दो की शुरुआत कर दी गई है आत्म समर्पित सभी नक्सलियों का फीड बैंक लिया जा रहा है उन्हें शासन की योजनाओं से जोड़कर लाभ दिया जाएगा|
आगे ऐसे होगा काम पुलिस ने जो रणनीति तय की है इसके मुताबिक पहले अब तक सरेंडर हुए नक्सलियों को वोटर आईडी आधार कार्ड राशन कार्ड जैसे सरकारी दस्तावेज बनाए जाएंगे इसके बाद इन्हें सरकार की योजनाओं से जुड़कर फायदा दिलाया जाएगा| 50 समर्पित नक्सली डीआरजी में शामिल हुए हैं आत्मा समर्पित नक्सलियों के लिए पुलिस ने डीआरजी टीम में शामिल होने के अलावा घर पर ही जाकर खुशहाल जीवन जीने का भी विकल्प रखा था घर वापसी अभियान के तहत करीब 50 से ज्यादा समर्पित नक्सली अभी डीआरजी में शामिल होकर नक्सल विरोधी अभियान के तहत काम कर रहे हैं और बड़ी सफलताएं भी दक्षिण बस्तर पुलिस को मिल रही है|
यह भी जानिए 457 नक्सलियों ने दो साल में आत्मसमर्पण किया 375 इनमें से घर वापसी अभियान के तहत समर्पण किया है 254 समर्पित नक्सलियों के बन रहे दस्तावेज दस्तावेज बनने से इनको इनकी पहचान मिल चुकी है और यह बहुत ही खुश नजर आ रहे हैं| दक्षिण बस्तर पुलिस इन बिंदुओं पर कर रही है काम जो सरेंडर नक्सली घर पर हैं उनकी मन स्थिति क्या है किस सोच में बदलाव आया है ऐसे कितने हैं जो गांव में रहकर खेती किसानी मजदूरी या अन्य काम कर रहे हैं ऐसे कितने हैं जो समर्पण के बाद भी नक्सलियों के लिए फिर से काम कर रहे हैं जो घर पर है सरकार की किन-किन योजनाओं से जुड़े हैं सरपंचों व गांव के अन्य लोग से भी फीडबैक लिया जाएगा|
समर्पित नक्सलियों ने बताया कि वह छोटी उम्र से ही नक्सली संगठन में चले गए थे जिस कारण उनका आधार कार्ड वोटर आईडी राशन कार्ड में नाम नहीं था नक्सलियों की खोपड़ी बिचार धारा समझने के बाद उन्होंने समर्पण किया आज वह बेहतर जीवन जी रहे हैं और उनके सरकारी दस्तावेज आधार कार्ड राशन कार्ड वोटर आईडी बन गया है जिससे वह सरकार की योजनाओं का लाभ ले पाएंगे और अपना मतदान भी वह कर सकते हैं|
बाइट : दंतेवाड़ा पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव
बाइट: समर्पित नक्सली